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हिन्दू धर्म में गुरुवार के दिन बृस्पति देव और भगवान विष्णु की पूजा का बहुत अधिक महत्व बताया जाता है। माना जाता है, जो भी व्यक्ति सच्चे मन से बृस्पति जी की इस दिन पूजा-अर्चना करता है, उसे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। वेद पुराणों के अनुसार गुरुवार के दिन केले की वृक्ष की पूजा करना शुभ बताया जाता है।
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आपने अक्सर देखा होगा की जो भी व्यक्ति गुरुवार का व्रत रखते है, वे न सिर्फ केले के वृक्ष की पूजा करते है, बल्कि इस पेड़ के पास बैठकर व्रत कथा आदि भी पढ़ते है, तो आखिर गुरुवार के दिन केवल केले के वृक्ष की पूजा का ही विधान क्यों है? आइये जानते इसके पीछे का महत्व व पूजन विधि-
केले की वृक्ष की पूजा के महत्व | Importance of Worshipping Banyan Tree
पितृ पक्ष के 15 दिनों के दौरान सभी अपने पितरों के मृत्यु की तिथि के दिन श्राद्ध करते हैं. साल 2023 में भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि 29 सितंबर 2023 को है और अश्विन मास की अमावस्या तिथि 14 अक्टूबर 2023 को है. इस तरह पितृ पक्ष 2023 29 सितंबर 2023 से शुरू होकर 14 अक्टूबर 2023 को खत्म होगी. इस बार अश्विन मास की अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) भी लग रहा है.
अगर किसी जातक को अपने पितर के देहावसान की तिथि याद न हो तो वे अश्विन मास के अमावस्या के दिन अपने पितरों का श्राद्ध क्रम कर सकते हैं. इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाते हैं.
भगवान विष्णु होते है प्रसन्न
धर्म शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार केले का वृक्ष एक ऐसा वृक्ष होता है, जिसमें स्वयं भगवान विष्णु का वास होता है। माना जाता है की, बृस्पतिवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते है और जातक को मनवांछित फल प्रदान करते है।
समस्याओं से मिलता है निजात
गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा करने से परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और गृह कलेश जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। इस पेड़ की पूजा का महत्व यही समाप्त नहीं होता है, बल्कि इसके अलावा भी यदि जातक के जीवन में बृहस्पति की दशा अनुकूल नहीं है या उसकी शादी में बार-बार रुकावटें आ रही है तो गुरुवार के दिन केले के वृक्ष के पूजन से यह सारी समस्याएं दूर भाग जाती है।
कैसे करें केले के वृक्ष का पूजन| How to worship Banyan Tree
प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और मौन व्रत का पालन करें।
अब केले के वृक्ष को प्रणाम कर जल अर्पित करें।
घर के आंगन में जल न चढ़ाएं, घर के बाहर मौजूद केले के वृक्ष पर ही जल अर्पित करें।
इसके बाद केले के वृक्ष पर हल्दी की गांठ, चने की दाल और गुड़ इत्यादि चढ़ाएं।
अब फूल और अक्षत चढ़ाकर वृक्ष के चारो ओर परिक्रमा लगाएं।
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को सभी ग्रहों के गुरु होने की उपाधि प्राप्त है। जातक की कुंडली में बृहस्पति की स्थिति प्रबल होने पर सुख, वैभव, धन और खुशहाल वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है।
बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार के दिन व्रत किया जाता है। इसके अलावा उन्हें प्रसन्न करने के लिए आप प्रभावशाली बृहस्पति यंत्र की पूजा भी कर सकते है। इस यंत्र की पूजा करने से न सिर्फ आपको बृहस्पति देव शुभ फल प्रदान करेंगे बल्कि आपकी कुंडली से सभी अशुभ दोषों को भी समाप्त करेंगे।