Ahoi Ashtami Vrat 2023 Date & Time -जानें अहोई अष्टमी व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त व तारों का समय

अहोई अष्टमी एक भारतीय त्योहार है, जो देवी अहोई को समर्पित है। माना जाता है की, इस व्रत को रखने से देवी अहोई भगवती प्रसन्न होती है और आशीर्वाद स्वरूप संतान की दीर्घायु और सुखमय जीवन प्रदान करती है। यह पर्व मुख्य रूप से भारत के उत्तरी भाग में मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वैसे तो यह व्रत कार्तिक महीने के आठवें दिन यानी ‘अष्टमी’ को रखा जाता है। लेकिन अमांता कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार अश्विन माह में मनाया जाता है।

अहोई अष्ठमी के दिन महिलाएं माता अहोई की तस्वीर की पूजा-अर्चना करती है। विवाहित महिलाओं के लिए अहोई अष्ठमी का यह व्रत खास महत्व रखता है। करवा चौथ के चार दिन बाद रखे जाने वाला यह व्रत उसी के समान कठिन होता है। इस दिन बहुत सी महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास रखती है और रात को तारों को देखने के बाद ही व्रत खोलती है। ऐसे में आज हम आपको बताने अहोई अष्टमी की तिथि, शुभ समय व पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे है।

अहोई अष्टमी 2022 तिथि व शुभ मुहूर्त | Ahoi Ashtami 2022 Date & Shubh Muhurat

हिंदू दैनिक पंचांग के मुताबिक साल 2022 में 17 अक्टूबर को कार्तिक माह के कृष्ण अष्टमी तिथि पड़ेगी। इस अनुसार सोमवार के दिन 17 अक्टूबर, 2022 के दिन अहोई अष्टमी का यह व्रत रखा जाएगा।

अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त व तारों का समय इस प्रकार है:-

Day

Date

गुरुवार

17 अक्टूबर,
2022

अष्टमी तिथि प्रारम्भ

17 अक्टूबर,
2022 सुबह 09: 29 मिनट से

अष्टमी तिथि समापन

18 अक्टूबर,
2022 सुबह 11:57 मिनट तक

तारे देखने का समय

शाम 06 बजकर 36 मिनट पर

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त

शाम 06 बजकर 14 मिनट से शाम 07 बजकर 28 मिनट तक

अहोई अष्टमी पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi

अहोई अष्टमी का दिन देवी अहोई को समर्पित होता है। इस दिन अहोई देवी की पूजा-अर्चना की जाती है और उनसे बच्चों की भलाई व लंबी उम्र कामना की जाती है। अहोई अष्टमी की पूजन विधि इस प्रकार है:-

1. प्रातः जल्दी उठकर स्न्नान करें पर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत संकल्प लें।
2. अब अहोई माता की तस्वीर बनाएं या बाजार से तस्वीर लाकर पूजन कक्ष में लगाएं।
3. अब माता को लाल या पीले पुष्प अर्पित कर और भोग, फल इत्यादि चढ़ाएं।
4. भोग अर्पित करने के बाद देवी मां की तस्वीर के आगे मंत्रो का जाप करें और घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें।
5. अहोई पूरे दिन निर्जला व्रत का पालन करें और फिर व्रत कथा पढ़कर देवी अहोई भगवती की आरती गाएं।
6. पूजन के बाद चांद व तारों को अर्घ्य दें और संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।

माना जाता है की जो भी महिलाएं पुरे विधि-विधान से अहोई माता का पूजन व व्रत करती है, उनकी संतान के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती है और वे एक स्वस्थ जीवन व्यतीत करते है।

About Saif Rayeen

Check Also

Vishwakarma Jayanti 2023 – विश्वकर्मा जयंती की तिथि, शुभ समय और महत्व

विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती दिव्य वास्तुकार, भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। विश्वकर्मा को दुनिया …