जानिये रुद्राभिषेक क्या है और रुद्राभिषेक के क्या लाभ हैं-jaanie rudraabhishek kya hai aur rudraabhishek ke kya phaayade hain

जरुद्राभिषेक करने से भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।

रुद्राभिषेक क्या है?
भगवन शिव का आशीर्वाद पाने के लिए लोग उनकी पूजा करते हैं और शिवलिंग पर मंत्रों का जाप करते हुए विशेष वस्तुएं अर्पित करते हैं अर्थार्थ चढ़ाते हैं। इस पूजन विधि जिससे शिवजी की पूजा कर सभी समस्याओं का नाश होता है उसे रुद्राभिषेक कहा जाता है।

रुद्राभिषेक के लाभ
शिव पुराण में रुद्राभिषेक की विधि हेतु सम्पूर्ण सूचि दी गई है जिससे ये पता चलता है की आप जिस उद्देश्य से पूजा कर रहे हैं उसके लिए आपको किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए। यहाँ पर रुद्राभिषेक के १८ लाभ बताये गए हैं जो की नीचे दी गई सूचि में हैं –

जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शकर मिश्रित जल से अभिषेक करें। ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।
असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है।
पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
शकर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।

रुद्राभिषेक मंत्र/श्लोक
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥

ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌ ॥

तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः
सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥

वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम:
कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः
सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्‌भवाय नमः ॥

नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥

यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम्उ
र्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥

सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ।
पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥

विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत्।
सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥

रुद्राभिषेक करने की विधि | जानिये कैसे करें रुद्राभिषेक
भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों में कहा गया है की हमारे पाप ही हमारे दुखों का कारण बनते हैं। इन दुखों से मुक्त होने के लिए शिव की आराधना करनी चाहिए। रुद्राभिषेक इस हेतु बहुत ही लाभदायक है। कहा जाता है की शिव यानि भोलेनाथ बड़े भोले हैं और थोड़ी सी पूजा करने से ही वे खुश हो जाते हैं। सही तरह से रुद्राभिषेक करने से वे बेहद प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं।

जल से अभिषेक करने की विधि
भगवान शिव का जल से अभिषेक करने से सभी तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है।

भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
ताम्बे के पात्र में शुद्ध जल भरें और उस पात्र पे कुमकुम से तिलक लगाएं।
ॐ इन्द्राय नम: मंत्र का जाप करें और यह करते हुए ताम्बे के पात्र पे मोली बांधे।
ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए भगवन पे कुछ फूल अर्पण करें।
अब शिवलिंग पे जल से रुद्राभिषेक करें और ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
आकृ चरण में शिवलिंग को एक शुद्ध कपडे से अच्छी तरह साफ़ करें।
दूध से अभिषेक करने की विधि
कहा जाता है की रुद्राभिषेक में दूध का उपयोग करने से जड़बुद्धि वाला भी विद्वान बन जाता है।

भोलेनाथ के प्रकाशमय स्वरुप का ध्यान करें।
ताम्बे के शुद्ध पात्र में दूध भरें और पात्र पे कुमकुम का तिलक करें।
ॐ श्री कामधेनवे नम: करें और उस पात्र पे मोली बांधें।
पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करें और भगवान को धुले हुए फूल अर्पित करें।
ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: मंत्र का जाप करें और शिवलिंग पर दूध का रुद्राभिषेक करें।
दूध से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग का शुद्ध जल से अभिषेक करें और फिर एक शुद्ध कपडे से साफ़ करें।
फलों के रस से अभिषेक करने की विधि
अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें

भगवान शिव के नील कंठ स्वरूप का ध्यान करें
ताम्बे के पात्र में गन्ने का रस भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
शिवलिंग पर फलों के रस से रुद्राभिषेक करें और अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा मंत्र का जाप करें
शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें और एक शुद्ध कपडे से शिवलिंग साफ़ करें।
सरसों के तेल से अभिषेक करने की विधि
ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें

भगवान शिव के प्रलयंकर स्वरुप का ध्यान करें
ताम्बे के पात्र में सरसों का तेल भरें और पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें
ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मोली बाधें
पंचाक्षरी मंत्र – ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां शिवलिंग पे अर्पित करें
शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें और ॐ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें
शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
चने की दाल से अभिषेक की विधि
किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें

भगवान शिव के समाधी स्थित स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
ताम्बे के पात्र में चने की दाल भर कर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मोली बांधें।
पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
शिवलिंग पर चने की दाल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें और ॐ शं शम्भवाय नम: मंत्र का जाप करें
शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
काले तिल से अभिषेक करने की विधि
तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें।

भगवान शिव के नीलवर्ण स्वरुप का ध्यान करें।
ताम्बे के पात्र में काले तिल भरें ओर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मोली बांधें।
पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करें और कुछ फूल अर्पित करें।
शिवलिंग पर काले तिल की धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें और ॐ क्षौं ह्रौं हुं शिवाय नम: का जाप करें।
शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करने की विधि
संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान शिव के चंद्रमौलेश्वर स्वरुप का ध्यान करें।
ताम्बे के पात्र में शहद मिश्रित गंगा जल भरें और पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मोली बाधें।
पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए कुछ फूल अर्पित करें।
शिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें और ॐ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा का जाप करें।
शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें और शुद्ध कपडे से साफ़ करें।
घी व शहद से अभिषेक करने की विधि
रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें।

भगवान शिव के त्रयम्बक स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
ताम्बे के पात्र में घी व शहद भरें और पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मोली बाधें।
पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करें और फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
शिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें और ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय स्वाहा का जाप करें।
शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें और शुद्ध कपडे से साफ़ करें।
कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करने की विधि
आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें।

भगवान शिव के नीलकंठ स्वरूप का ध्यान करें।
ताम्बे के पात्र में कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत भरें और पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
ॐ उमायै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मोली बाधें।
पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
अब शिवलिंग पर कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें और ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं नीलकंठाय स्वाहा का जाप करें।
शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें और शुद्ध कपडे से साफ़ करें।

About Prince Singh

Check Also

Vishwakarma Jayanti 2023 – विश्वकर्मा जयंती की तिथि, शुभ समय और महत्व

विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती दिव्य वास्तुकार, भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। विश्वकर्मा को दुनिया …