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हिन्दू धर्म में पवनपुत्र हनुमान की महिमा अपरम्पार बताई जाती है। रामभक्त हनुमान को बहुत सारे नामों से सम्बोधित किया जाता है। इन नामों में मुख्य रूप से महाबली, संकटमोचन, अंजनी पुत्र, पवनपुत्र आदि शामिल है। बजरंबली के यह सभी नाम उनके अद्भुत शक्तियों का भी भली-भांति वर्णन करते है। सनातन धर्म में संकटमोचन हनुमान को सबसे पूजनीय देवताओं में से एक माना जाता है। वैसे तो पूरे भारत में, हनुमान जी के कई मंदिर है, लेकिन इन सभी में से मेहंदीपुर बालाजी धाम सबसे लोकप्रिय माने जाते है।
यह प्रसिद्ध बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। कई लोग मेहंदीपुर बालाजी सवामणी ऑनलाइन बुकिंग(mehandipur balaji sawamani online booking) द्वारा इस पवित्र मंदिर में सवामणी का आयोजन भी करते है। दो बेहद शानदार पहाड़ियों के बीच घाटी में स्थित होने के कारण इस ऐतिहासिक मंदिर को घाट मेहंदीपुर के नाम से भी जाना जाता है। इस पवित्र तीर्थ का इतिहास हजार साल पहले का है। हनुमान जी प्रमुख देवता हैं, जबकि श्री भैरव बाबा और श्री प्रेतराज सरकार श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम के अन्य देवता है।
ऐसा माना जाता है कि जो लोग भूत-प्रेत संबंधी समस्याओं से पीड़ित है, वे इस पवित्र मंदिर में जल्दी ठीक हो सकते है। इस मंदिर में आने वाले भक्तों को आशीर्वाद पाने के लिए कुछ नियमों का अवश्य पालन करना चाहिए। आज के इस ब्लॉग में हम आपको इस मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से जुड़े, इन्ही कुछ रहस्यों के बारे में बताने जा रहे है, तो आइये जानते है-
मेहंदीपुर बालाजी धाम के 5 ज़रूरी नियम-
1. प्याज, लहसुन और मांसाहार से बचें
हिन्दू धर्म के अनुसार प्याज, लहसुन एवं मांसाहारी भोजन को अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह सभी प्रकार के भोजन तामसिक श्रेणी में है। महाबली हनुमान या किसी भी देवतागण के द्वारा इस प्रकार के भोजन का सेवन नहीं किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह राक्षसों का भोजन माना गया है। यही कारण है की बालाजी धाम में जाने से कुछ समय पहले भक्त को कभी भी इन चीज़ों का सेवन नही करना चाहिए।
2. किसी पीड़ित का मजाक न बनाएं
मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर परिसर में भूत-प्रेत से पीड़ित लोगों का इलाज किया जाता है। ऐसे में जब आप मंदिर परिसर में प्रवेश करेंगे तो आप बहुत से अजीबोगरीब चीज़ों का अनुभव कर सकते है। बालाजी धाम में आपको कई लोग कतार में चिल्लाते हुए, रोते हुए, सिर पीटते हुए और आगे बढ़ते हुए अजीब व्यवहार करते हुए दिखाई दे सकते है। लेकिन आपको कभी भूलकर भी उनका मजाक नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने से वह पीड़ित व्यक्ति और भी अधिक प्रभावित हो सकता है।
3. किसी भी प्रकार कि खाद्य सामग्री न लें
मेंहदीपुर बालाजी मंदिर में किसी भी तरह का प्रसाद, भोजन या अन्य खाद्य सामग्री बिलकुल भी न लें। इस नियम को लेकर एक मान्यता यह बताई जाती है की मीठे वस्तुएं भूत-बाधा जल्दी प्रभावित हो जाती है। इसलिए ऐसा कहा जाता है की जो भी व्यक्ति भोग आदि को ग्रहण करता है, उसे भी यह बुरी शक्तियां प्रभावित कर सकती है। यही कारण है कि मेंहदीपुर बालाजी धाम में किसी भी तरह की भोजन या खाद्य सामग्री लेना एवं देना वर्जित माना जाता है।
4. मोबाइल फोन का प्रयोग न करें
मेहंदीपुर बालाजी में आप कई ऐसी चीजें देख सकते है, जिन पर आपका मन यकीन नहीं करेगा। लेकिन आपको आपकी आंखों के सामने यह सभी होता हुआ दिखाई देगा। मंदिर परिसर में आप लोगों को चिल्लाते हुए, खुद को चोट पहुँचाने की कोशिश करते हुए देख सकते हैं, कुछ लोग जंजीरों से बंधे होंगे। लेकिन आप यहां मोबाइल फ़ोन का प्रयोग बिलकुल भी नहीं कर सकते है। मंदिर परिसर में किसी अन्य व्यक्ति का वीडियो रिकॉर्ड करना या फोटो खींचना सख्त वर्जित है।
5. दर्शन के बाद पीछे मुड़कर न देखे
दर्शन के बाद पीछे मुड़कर मंदिर की तरफ न देखें या मंदिर से बाहर निकलते समय किसी अजनबी से नजरें न मिलाएं। कभी भी किसी को कुछ न दें और न ही उनसे कुछ लें, विशेषकर मंदिर के भिखारियों को। अपने साथ हमेशा एक पानी की बोतल और कुछ खाने का सामान रखें। मंदिर के अंदर कुछ भी न लें।
Architecture of Mehandipur Balaji Dham| श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम की वास्तुकला
मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक राजपूत वास्तुकला से प्रेरित है। मंदिर को 4 खंडों में बांटा गया है, पहले दो खंडों में हनुमान और भैरव की मूर्तियां है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी पृथ्वी पर किसी भी जादुई या नकारात्मक शक्तियों को दूर कर सकते है। तीसरा और चौथा खंड प्रेत राज (भूतों के राजा) के दरबार का निर्माण करता है, जहाँ बुरी आत्माओं से ग्रसित लोगों को रखा जाता है और विद्वानों द्वारा उनका इलाज किया जाता है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर परिसर में प्रभावित व्यक्तियों के शरीर से बुरी आत्माओं को भगाने के लिए इस अभ्यास का पालन किया जाता है।
आज के इस ब्लॉग में, हमने श्री मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से संबंधित कुछ प्रमुख तथ्यों का वर्णन किया है, जो आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं। मेहंदीपुर बालाजी धाम को भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है। विभिन्न भूत-संबंधी और अन्य ऊपरी बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए देश भर के भक्त इस पवित्र मंदिर में दर्शन हेतु जाते है। इसके अलावा बालाजी धाम में मनोकामना पूरी होने पर लोग चोला, अर्जी और सवामणी (mehandipur balaji sawamani) भोग प्रसाद भी चढ़ाते है।
मेहंदीपुर बालाजी में किन देवताओं की पूजा की जाती है?
मेहंदीपुर बालाजी धाम मंदिर के अंदर तीन महत्वपूर्ण देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई है। मेंहदीपुर बालाजी (mehandipur Balaji temple) धाम में प्रेतराज सरकार, बालाजी, और भैरव बाबा तीन मूर्तियां हैं, जिनकी सबसे अधिक पूजा की जाती है। भक्त पहले प्रेतराज सरकार के दर्शन करते हैं, उसके बाद बालाजी महाराज और भैरव बाबा के दर्शन करते है।
मेहंदीपुर बालाजी का प्रसाद क्यों नहीं लाया जाता है घर?
• वैसे तो हमारे देश में अनेकों मंदिर है, लेकिन राजस्थान के दौसा जिले के पास स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (mehandipur Balaji temple) का इतिहास बहुत ही रोचक और अनेक रहस्यों से भरा हुआ माना जाता है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी के बाल स्वरुप की पूजा की जाती है। मेंहदीपुर बालाजी धाम एक बहुत ही प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है, जहां भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
• मेहंदीपुर बालाजी में धाम में जाने के बहुत से नियम बताएं जाते है, जिनका पालन भक्त को धाम में जाने से पहले अवश्य करना चाहिए। इन्ही में से एक नियम यह भी बताया जाता है की यहां मिलने वाले प्रसाद को कभी भी ग्रहण नहीं करना चाहिए और न नहीं कभी इस प्रसाद को घर लाना चाहिए।
• दरअसल, मेंहदीपुर बालाजी धाम में जब आप प्रवेश करेंगे तो आपको कई ऐसे दृश्य देखने को मिलेंगे, जिसे देखकर आप थोड़ा हैरान हो सकते है। ऐसा माना जाता है कि जो भी लोग भूत-प्रेत से पीड़ित है, उनके निवारण के लिए बालाजी महाराज को प्रसाद चढाने का विधान माना जाता है। इस प्रसाद को दर्खावस्त और अर्जी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि दर्खावस्त का प्रसाद चढाने के साथ ही वहां से तुरंत निकल जाना चाहिए। इसके साथ अर्जी का प्रसाद व्यक्ति को अपने पीछे के ओर फेंकना चाहिए। इस दौरान अपना मुख पीछे बिल्कुल नहीं घुमाना चाहिए।
• आमतौर पर भगवान का प्रसाद लगभग सभी लोग घर लेकर आते है, लेकिन मेंहदीपुर बालाजी धाम में ऐसा विधान नहीं है। मेहंदीपुर बालाजी धाम के प्रसाद को घर लेकर जाना पूर्णतः निषेध माना जाता है। दरअसल हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार, मीठी एवं सुगंधित वस्तुओं से नकारात्मक एवं बुरी शक्तियां बहुत जल्दी आकर्षित होती है। यही कारण है की मीठे या किसी प्रकार के प्रसाद को न तो ग्रहण करना चाहिए न ही अपने घर में लाना चाहिए।
इस ब्लॉग में हमने इस चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (mehandipur Balaji dham) का एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण नियम के बारे में जानकारी दी है। हालांकि, कुछ नियम हैं जिन्हें राजस्थान के इस प्रसिद्ध मंदिर में जाने से पहले जानना आवश्यक है। मान्यता है की मेहंदीपुर बालाजी महाराज की कृपा से तंत्र-मंत्र और सभी ऊपरी बाधाएं बिना दवा के ठीक हो जाती है। बालाजी महाराज का यह मंदिर भूत-प्रेत और अन्य ऊपरी बाधाओं को दूर करने की क्षमता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भक्त अधिकतर भोग प्रसाद, चोला और सवामणी चढ़ाते है।