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जय श्री राम! राम भक्त हनुमान को समर्पित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। मेहंदीपुर बालाजी धाम को भारत के प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक माना जाता है। इस वजह से दुनिया भर से श्रद्धालु इस स्थान पर दर्शन के लिए आते हैं। हालांकि, लोग मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में अपनी बोली हुई मनोकामनाओं को पूरा करने पर सवामणी प्रसाद भी चढ़ाते है। मेहंदीपुर बालाजी सवामणी (mehandipur balaji sawamani) में भोग प्रसाद के कई रूपों में, विशेष रूप से राजस्थानी विशेष दाल बाटी चूरमा, को माना जाता है।
About Mehandipur Balaji Temple: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर
श्री मेहंदीपुर बालाजी के चमत्कारी मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में दर्शनार्थी आते है। मंगलवार और शनिवार के दिन यहां खास तौर पर भक्तों का जमावड़ा देखने को मिलता है। मेहंदीपुर बालाजी का यह पावन धाम विशेष तौर पर भूत-प्रेत व बुरी आत्माओं से मुक्ति दिलाने के लिए विश्वभर में जाना जाता है। इसके अलावा, मंदिर के अंदर सवामणी (mehandipur balaji sawamani) और भोग प्रसाद के लिए भी विशेष तैयारी की जाती है।
आज के ब्लॉग में हम आपको मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से जुड़े एक महत्वपूर्ण तथ्य के बारे में बताने जा रहे है। लेकिन, इस ब्लॉग में अधिक जानने से पहले, आइए उन महत्वपूर्ण देवताओं पर चर्चा करें जिनकी इस मंदिर में पूजा की जाती है।
मेहंदीपुर बालाजी में किन देवताओं की पूजा की जाती है?
मेहंदीपुर बालाजी धाम मंदिर के अंदर तीन महत्वपूर्ण देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई है। मेंहदीपुर बालाजी (mehandipur Balaji temple) धाम में प्रेतराज सरकार, बालाजी, और भैरव बाबा तीन मूर्तियां हैं, जिनकी सबसे अधिक पूजा की जाती है। भक्त पहले प्रेतराज सरकार के दर्शन करते हैं, उसके बाद बालाजी महाराज और भैरव बाबा के दर्शन करते है।
मेहंदीपुर बालाजी का प्रसाद क्यों नहीं लाया जाता है घर?
• वैसे तो हमारे देश में अनेकों मंदिर है, लेकिन राजस्थान के दौसा जिले के पास स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (mehandipur Balaji temple) का इतिहास बहुत ही रोचक और अनेक रहस्यों से भरा हुआ माना जाता है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी के बाल स्वरुप की पूजा की जाती है। मेंहदीपुर बालाजी धाम एक बहुत ही प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है, जहां भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
• मेहंदीपुर बालाजी में धाम में जाने के बहुत से नियम बताएं जाते है, जिनका पालन भक्त को धाम में जाने से पहले अवश्य करना चाहिए। इन्ही में से एक नियम यह भी बताया जाता है की यहां मिलने वाले प्रसाद को कभी भी ग्रहण नहीं करना चाहिए और न नहीं कभी इस प्रसाद को घर लाना चाहिए।
• दरअसल, मेंहदीपुर बालाजी धाम में जब आप प्रवेश करेंगे तो आपको कई ऐसे दृश्य देखने को मिलेंगे, जिसे देखकर आप थोड़ा हैरान हो सकते है। ऐसा माना जाता है कि जो भी लोग भूत-प्रेत से पीड़ित है, उनके निवारण के लिए बालाजी महाराज को प्रसाद चढाने का विधान माना जाता है। इस प्रसाद को दर्खावस्त और अर्जी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि दर्खावस्त का प्रसाद चढाने के साथ ही वहां से तुरंत निकल जाना चाहिए। इसके साथ अर्जी का प्रसाद व्यक्ति को अपने पीछे के ओर फेंकना चाहिए। इस दौरान अपना मुख पीछे बिल्कुल नहीं घुमाना चाहिए।
• आमतौर पर भगवान का प्रसाद लगभग सभी लोग घर लेकर आते है, लेकिन मेंहदीपुर बालाजी धाम में ऐसा विधान नहीं है। मेहंदीपुर बालाजी धाम के प्रसाद को घर लेकर जाना पूर्णतः निषेध माना जाता है। दरअसल हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार, मीठी एवं सुगंधित वस्तुओं से नकारात्मक एवं बुरी शक्तियां बहुत जल्दी आकर्षित होती है। यही कारण है की मीठे या किसी प्रकार के प्रसाद को न तो ग्रहण करना चाहिए न ही अपने घर में लाना चाहिए।
इस ब्लॉग में हमने इस चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (mehandipur Balaji dham) का एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण नियम के बारे में जानकारी दी है। हालांकि, कुछ नियम हैं जिन्हें राजस्थान के इस प्रसिद्ध मंदिर में जाने से पहले जानना आवश्यक है। मान्यता है की मेहंदीपुर बालाजी महाराज की कृपा से तंत्र-मंत्र और सभी ऊपरी बाधाएं बिना दवा के ठीक हो जाती है। बालाजी महाराज का यह मंदिर भूत-प्रेत और अन्य ऊपरी बाधाओं को दूर करने की क्षमता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भक्त अधिकतर भोग प्रसाद, चोला और सवामणी चढ़ाते है।