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पौष का महीना आते ही देश में शीत ऋतू का आरंभ हो जाता है। मार्गशीर्ष मास समाप्त होने के तुरंत बाद पौष माह की शुरुआत हो जाती है। हिन्दू कैलेंडर में इस महीने को साल के 10वें महीने के रूप में जाना जाता है। पौष के महीने में धार्मिक कार्य करने का बहुत महत्व बताया जाता है।
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पौष का यह पावन महीना सूर्यदेव के साथ भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। इसके साथ ही यह, श्री कृष्ण के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है इस महीने में धनु सक्रांति के बाद से किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। हालांकि पौष महीने में पूजा-पाठ एक विशेष महत्व बताया जाता है। इस मास को छोटे पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है। इस एक महीने के दौरान बहुत से मंदिरों में पौष बड़े महोत्सव का भी आयोजन होता है।
पौष के मास में बहुत से व्रत-त्यौहार मनाएं जाते है, जिनका धार्मिक महत्व बहुत अधिक माना जाता है ऐसे में यहां हम आपको इन्हीं व्रत-त्यौहार,जयंती एवं उत्सव के बारे में जानकारी देने जा रहे है, तो आइये जानते है-
पौष मास 2023 में पड़ने वाले व्रत- त्यौहार | Paush Month Vrat Tyohar 2023
2023 पौष महीना (Pausa month) हिन्दू कैलेंडर और पंचांग (विक्रम संवत 2080) | जानें वर्ष 2023 पौष मास के पर्व /त्यौहार , व्रत, उपवास, तिथि और नक्षत्र के बारे में | 2023 में पौष का महीना दिसम्बर 27 को शुरू होता है और जनवरी 25, 2024 को खत्म होता है|
तारीख (Date) | त्यौहार/ जयंती |
30 Sat | संकष्टी गणेश चतुर्थी |
01 Mon | नव वर्ष |
02 Tue | प्रकृति दिन |
04 Thu | कालाष्टमी |
07 Sun | सफला एकादशी |
09 Tue | मास शिवरात्रि , भौम प्रदोष व्रत , प्रदोष व्रत |
11 Thu | अमावस्या |
12 Fri | स्वामी विवेकानंद जयंती , चंद्र दर्शन , राष्ट्रीय युवा दिवस |
14 Sun | लोहड़ी (लोहरी) , वरद चतुर्थी |
15 Mon | मकर संक्रांति , सोमवार व्रत , गंगा सागर स्नान |
16 Tue | षष्टी |
17 Wed | गुरु गोबिंदसिंह जयंती |
18 Thu | दुर्गाष्टमी व्रत |
21 Sun | रोहिणी व्रत , पौष पुत्रदा एकादशी |
22 Mon | सोम प्रदोष व्रत , कूर्म द्वादशी व्रत |
23 Tue | प्रदोष व्रत |
25 Thu | सत्य व्रत , पूर्णिमा व्रत , पूर्णिमा , पौष पूर्णिमा , सत्य व्रत , माघस्नान प्रारंभ |
मेहंदीपुर बालाजी में किन देवताओं की पूजा की जाती है?
मेहंदीपुर बालाजी धाम मंदिर के अंदर तीन महत्वपूर्ण देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई है। मेंहदीपुर बालाजी (mehandipur Balaji temple) धाम में प्रेतराज सरकार, बालाजी, और भैरव बाबा तीन मूर्तियां हैं, जिनकी सबसे अधिक पूजा की जाती है। भक्त पहले प्रेतराज सरकार के दर्शन करते हैं, उसके बाद बालाजी महाराज और भैरव बाबा के दर्शन करते है।
मेहंदीपुर बालाजी का प्रसाद क्यों नहीं लाया जाता है घर?
• वैसे तो हमारे देश में अनेकों मंदिर है, लेकिन राजस्थान के दौसा जिले के पास स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (mehandipur Balaji temple) का इतिहास बहुत ही रोचक और अनेक रहस्यों से भरा हुआ माना जाता है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी के बाल स्वरुप की पूजा की जाती है। मेंहदीपुर बालाजी धाम एक बहुत ही प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है, जहां भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
• मेहंदीपुर बालाजी में धाम में जाने के बहुत से नियम बताएं जाते है, जिनका पालन भक्त को धाम में जाने से पहले अवश्य करना चाहिए। इन्ही में से एक नियम यह भी बताया जाता है की यहां मिलने वाले प्रसाद को कभी भी ग्रहण नहीं करना चाहिए और न नहीं कभी इस प्रसाद को घर लाना चाहिए।
• दरअसल, मेंहदीपुर बालाजी धाम में जब आप प्रवेश करेंगे तो आपको कई ऐसे दृश्य देखने को मिलेंगे, जिसे देखकर आप थोड़ा हैरान हो सकते है। ऐसा माना जाता है कि जो भी लोग भूत-प्रेत से पीड़ित है, उनके निवारण के लिए बालाजी महाराज को प्रसाद चढाने का विधान माना जाता है। इस प्रसाद को दर्खावस्त और अर्जी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि दर्खावस्त का प्रसाद चढाने के साथ ही वहां से तुरंत निकल जाना चाहिए। इसके साथ अर्जी का प्रसाद व्यक्ति को अपने पीछे के ओर फेंकना चाहिए। इस दौरान अपना मुख पीछे बिल्कुल नहीं घुमाना चाहिए।
• आमतौर पर भगवान का प्रसाद लगभग सभी लोग घर लेकर आते है, लेकिन मेंहदीपुर बालाजी धाम में ऐसा विधान नहीं है। मेहंदीपुर बालाजी धाम के प्रसाद को घर लेकर जाना पूर्णतः निषेध माना जाता है। दरअसल हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार, मीठी एवं सुगंधित वस्तुओं से नकारात्मक एवं बुरी शक्तियां बहुत जल्दी आकर्षित होती है। यही कारण है की मीठे या किसी प्रकार के प्रसाद को न तो ग्रहण करना चाहिए न ही अपने घर में लाना चाहिए।
इस ब्लॉग में हमने इस चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (mehandipur Balaji dham) का एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण नियम के बारे में जानकारी दी है। हालांकि, कुछ नियम हैं जिन्हें राजस्थान के इस प्रसिद्ध मंदिर में जाने से पहले जानना आवश्यक है। मान्यता है की मेहंदीपुर बालाजी महाराज की कृपा से तंत्र-मंत्र और सभी ऊपरी बाधाएं बिना दवा के ठीक हो जाती है। बालाजी महाराज का यह मंदिर भूत-प्रेत और अन्य ऊपरी बाधाओं को दूर करने की क्षमता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भक्त अधिकतर भोग प्रसाद, चोला और सवामणी चढ़ाते है।