Rudraksha Mala Wearing Tips -रुद्राक्ष माला धारण करने के 5 जरूरी नियम

शिव भक्तों के लिए रुद्राक्ष की माला सिर्फ एक माला नहीं बल्कि स्वयं भोले नाथ का ही एक स्वरुप होता है। प्राचीन काल से ही साधु-संतों को रुद्राक्ष माला धारण करते हुए देखा गया है, कहा जाता है की जो भी व्यक्ति भगवान शंकर को प्रसन्न करना चाहते है, उन्हें रुद्राक्ष की माला से भगवान शिव के मंत्रो का जाप करना चाहिए।

रुद्राक्ष की अगर बात की जाए तो, यह भगवान शिव को अति प्रिय होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब कई सालों तक ध्यान-साधना के बाद भगवान शिव ने आंखे खोलीं तब उनकी आँख से आंसू निकलकर धरती पर गिरे, जिसके बाद उन आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई और इसी कारण रुद्राक्ष को इतना पवित्र और अलौकिक माना जाता है।

रुद्राक्ष माला पहनने के एक नहीं बहुत से चमत्कारी फायदे होते है। लेकिन रुद्राक्ष माला धारण करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, तो आइये जानते है क्या है ये नियम।

सिद्ध करने के बाद ही धारण करें रुद्राक्ष माला
सबसे पहले आपको बता दें की, रुद्राक्ष माला को हमेशा सिद्ध करने के बाद ही धारण करना चाहिए। इसके साथ ही रुद्राक्ष माला को धारण करने से पहले या उतारने के बाद रुद्राक्ष मंत्र ‘ॐ ह्रीं नम:’ का 9 बार जाप अवश्य करें।

मांस – मदिरा का सेवन न करें
जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष – माला धारण करते है, उन्हें मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

शव यात्रा के दौरान न करें धारण
रुद्राक्ष माला धारण करने का एक महत्वपूर्ण नियम यह भी है की, रुद्राक्ष को श्मशान घाट में धारण कर नहीं जाना चाहिए। इसके अलावा किसी बच्चे के जन्म के दौरान भी रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए।

स्नान करने के बाद ही करें धारण
रुद्राक्ष माला के संबंध में एक और ध्यान रखने योग्य बात यह है की प्रातः काल स्नान के बाद ही इस माला को स्पर्श या धारण करें, बिना स्नान करें रुद्राक्ष माला को धारण नहीं करना चाहिए।

सोते समय धारण न करें रुद्राक्ष माला
बताते चलें की सोते समय भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए, क्योकि इस समय शरीर अशुद्ध रहता है और रुद्राक्ष टूटने का भी डर होता है। ऐसा माना जाता है की रुद्राक्ष को तकिये के नीचे रखकर सोने से बुरे और नकारातमक सपने नहीं आते है।

सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है, जिस वजह से इस दिन रुद्राक्ष धारण करने को बहुत शुभ बताया जाता है। इसके साथ ही रुद्राक्ष माला को धारण करने से पहले गंगा जल, लाल पुष्प, चन्दन, धूप या अगरबत्ती से इसे सिद्ध अवश्य करें।

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