Shiva Lingam- शिवलिंग क्यों है इतना महत्वपूर्ण जानिए इसकी अलौकिकता का रहस्य!

हिन्दू धर्म में भगवान शिव को सर्वाधिक पूजनीय देवताओं की उपाधि प्राप्त है। इस संसार में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो भोलेबाबा की महिमा से वंचित हो। ऐसे में अधिकांश हिन्दू घरों में शंकर भगवान के पूजन के लिए शिवलिंग का प्रयोग किया जाता है। शिवलिंग के बारे में ऐसा माना जाता है कि इसमें अत्याधिक ऊर्जा और अलौकिक शक्तियां समाहित होती है। आज हम आपको भगवान शिव के इस पावन स्वरुप यानि शिवलिंग से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में बताने जा रहे है।

शिव लिंग, हिन्दू धर्म को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण देवता का प्रतिनिधित्व करता है। यह शिवलिंग (shiva lingam) मुख्य रूप से शिवालयों और मंदिरों में पाएं जाते है। इसके साथ ही अनेकों भक्त इस अलौकिक शिवलिंग को अपने घर में भी स्थापित करते है। हिन्दू भक्तों द्वारा शिव लिंगम(shiva lingam) को भगवान की ऊर्जा और क्षमता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। अधिकांश हिन्दुओं के द्वारा शिवलिंग को स्वयं शिव का रूप ही माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि शिव लिंग का न ही कोई प्रांरभ होता है और न ही कोई अंत है और इस दुनिया में सभी चीजें एक में मिल जाएंगी और एक निराकार आकार बन जाएंगी। हर साल हजारों लोग अमरनाथ मंदिर (amarnath shivling) जाते हैं, जो पूरी दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है। यह हिमलिंग भी कहलाता है क्योंकि हर वर्ष शीत ऋतु में पश्चिमी हिमालय की बर्फ से बनाया जाता है। आइये आगे इस ब्लॉग में जानते है, यह शिवलिंग क्या है, इसका महत्व क्या है। इसके साथ ही हिन्दू धर्म में कितने प्रकार के शिवलिंग मनाएं जाते है –

What is the meaning Shiva Lingam? शिवलिंग का क्या अर्थ है?

भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करने वाले धार्मिक ग्रंथ, शिव पुराण में शिवलिंग का खास तौर पर उल्लेख किया गया है। यह वर्णन शिव पुराण में विद्येश्वर संहिता के पहले खंड में किया गया है। इसमें शिव-लिंग को अग्नि के आरंभ-रहित और अंतहीन ब्रह्मांडीय स्तंभ के रूप में वर्णित किया गया है जो मूल रूप से सभी कारणों का कारण है।

इसका कभी अंत नहीं होता। यह ब्रह्मा (उत्पत्ति के देवता) और विष्णु (कल्याण के देवता) पर सर्वोच्चता का संकेत है। लिंग पुराण के अनुसार, यह ब्रह्मांडीय स्तंभ का प्रतीक है, जो शिव की अनंत प्रकृति को दर्शाता है। शिवलिंग की संचरना एक अंडाकार आकर कि है, जो पूरे ब्रह्मांड को धारण करने वाली सर्वोच्च शक्ति के आधार को दर्शाते है।

What is the Importance of Shiva Linga? शिव लिंग का महत्व क्या है?

प्रकृति का स्वरुप
शिव लिंग को स्वयं प्रकृति कहा जाता है, जो निराकार ॐ और सर्वशक्तिमान त्रिनेत्र धारी भगवान शिव को समर्पित है। यह अमर आत्मा का एक रूप है जो हमारे अंतरतम यानी आत्मा में वास करता है। लिंग पुराण के प्राचीन ग्रंथ के अनुसार, लिंग का कोई रूप, गंध, स्वाद, रंग आदि नही होता है। यह भगवान शिव की एक उत्पादक शक्ति है।

12 ज्योतिर्लिंग का महत्व
शिव लिंग के तीन भाग होते है, सबसे निचले हिस्से को ब्रह्मा-पीठ कहा जाता है, बीच वाले को विष्णु-पीठ कहा जाता है जबकि सबसे ऊपर वाले हिस्से को शिव-पीठ कहा जाता है। पूरे देश में 12 सबसे पवित्र शिव लिंग पाएं जाते है, जिन्हें ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम केदारनाथ, महाकाल, सोमनाथ, अमलेश्वर, बैजनाथ, काशी विश्वनाथ, रामेश्वर, भीमशंकर, मल्लिकार्जुन, नागेश्वर, घ्रुसनेश्वर और त्र्यंबकेश्वर है।

शिवलिंग का पौराणिक महत्व
प्राचीन काल से ही ध्यान केंद्रित करने और एकाग्रता के स्तर को बढ़ाने के लिए ऋषि-मुनि शिवलिंग की पूजा करते थे और स्वयं को भोलेनाथ के परम भक्त मानते थे। शिवलिंग केवल पदार्थ या पत्थर नही, बल्कि स्वयं भगवान शिव से जुड़ने और मन की चेतना को बढ़ाने का एक माध्यम है। रामायण के समय भगवान राम ने स्वयं रामेश्वरम में शिव लिंग की पूजा की थी। इतना ही नही रावण जैसे राक्षस भी भगवान शिव के प्रमुख भक्तों मे से एक था, जिनसे आध्यात्मिक शक्तियां प्राप्त करने के लिए शिवलिंग की आराधना की थी।

Types of Shiva Linga:

शिवलिंग कितने प्रकार के होते है?
हिन्दू धर्म में अलग-अलग प्रकार के शिवलिंग बताएं जाते है। शिवलिंग के निर्माण के लिए अनेक प्रकार की धातु, पारा, नदी की मिट्टी, सफेद संगमरमर (spatika lingam)इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए एक सटीक अनुपात तय किया जाता है। जैसे शिवलिंग की ऊंचाई, चौड़ाई व अन्य महतवपूर्ण तथ्य। वैसे तो बहुत प्रकार के शिवलिंग की पूजा करने का विधान माना जाता है, लेकिन यहां हम आपको अधिकांश रूप से पूजे जाने शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे है-

Parad Shivling | पारद शिवलिंग
भगवान शिव के भक्तों के द्वारा पारद शिवलिंग बहुत महवपूर्ण माना जाता है। जैसा की नाम से ही स्पष्ट है, पारद शिवलिंग, पारा नाम की धातु से बनता है। इस चमत्कारी पारद शिवलिंग (Parad Shivling) की पूजा पूरी विधि, विश्वास और भक्ति के साथ की जाती है। ऐसा माना जाता है कि पारद शिवलिंग के पूजन से शारीरिक एवं मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही पारद शिवलिंग (Parad Shivling) कि पूजा समृद्धि, सकारात्मक और धन प्राप्ति के लिए भी की जाती है।

Narmadeshwar Shivling | नर्मदेश्वर शिवलिंगसम्पूर्ण

विश्व में केवल एक स्थान पर नर्मदेश्वर शिवलिंग (narmadeshwar shivling) पाया जाता है और वह स्थान है मध्य भारत की नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। नर्मदेश्वर शिवलिंग अत्यंत पवित्र और परमार्थ, नर्मदा नदी के पत्थर से बनते है। नर्मदा नदी के किनारे पाए जाने के कारण ही इन्हें नर्मदेश्वर शिवलिंग के नाम से संबोधित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि नर्मदेश्वर शिवलिंग, (narmadeshwar shivling) भगवान भोलेनाथ का साक्षात स्वरूप ही है। नर्मदेश्वर शिवलिंग को घर या मंदिर में स्थापित कर पूजा करने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है।

Black Shiva Linga | काला शिव लिंग
काले शिव लिंग को भगवान शिव का एक पवित्र स्वरुप माना जाता है।इसमें अत्यधिक सुरक्षात्मक ऊर्जा भी पाई जाती है। पहले यह केवल मंदिरों तक ही सीमित था, लेकिन आजकल के समय में यह भक्तों द्वारा अपने घर के मंदिरों में भी पाया जाता है। यह शिवलिंग(spatika lingam)जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और पत्थर जैसे सभी तत्वों की ऊर्जाओं को अपने अंदर समाहित रखता है। शिवलिंग की पूजा करना चक्र प्रणाली को सक्रिय करता है, कुंडलिनी ऊर्जा को सक्रिय करता है, शरीर की जीवन शक्ति को बढ़ाता है, नए जीवन का मार्ग दिखाता है, एकता की भावना को बढ़ाता है और यहां तक कि बांझपन जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।

इस प्रकार यह कुछ शिवलिंग (shivling)है, जिनका पूजन ज्यादातर हिन्दू घरों में किया जाता है। भगवान शिव को समर्पित यह शिवलिंग केवल एक पदार्थ नहीं है, बल्कि साक्षात भोलेनाथ का ही एक स्वरूप है।

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