Story of Ganesh ji and Mushak -गणेश जी और मूषक की कहानी

हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म है, जहां देवी-देवता के साथ उनके वाहन की भी पूजा की जाती है। जैसे भगवान विष्णु शेषनाग पर विश्राम करते है और नंदी भोलेनाथ की सवारी बनते है, उसी प्रकार बाकी सभी देवी-देवताओं का भी कोई न कोई वाहन अवश्य होता है। बता दें, किसी भी देवी या देवता के वाहन बनने के पीछे कोई न कोई कथा अवश्य होती है। ऐसे में गणेश चतुर्थी के अवसर पर आज हम आपको ऐसी ही एक कथा के बारे में बताने जा रहे है, जिसमें आप यह जानेंगे की आखिर मूषक कैसे भगवान गणेश की सवारी बनें।

आइये जानते है कैसे गणेश जी का वाहन बने मूषकराज-

बहुत समय पहले एक भयंकर असुर हुआ करता था जिसका नाम गजमुखासुर था। गजमुखासुर को सर्व शक्तिमान और धनवान बनने की चाह थी। वह सभी देवतओं पर विजय पाना चाहता था। जिसके लिए उसने भगवान शिव की कठिन तपस्या की और उनसे वरदान प्राप्त करने के लिए जंगल में निवास करने लगा। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए वह भूखा- प्यासा रहता और रात-दिन कठिन तप किया करता था।

सालों तक कठिन तप कर उनसे आख़िरकार भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया। जैसे ही भगवान शंकर उसके सामने प्रकट हुए वैसे ही गजमुखासुर ने उनसे यह वरदान मांगा की वह सर्व शक्तिशाली हो जाए और किसी भी शस्त्र से उसकी मृत्यु न हो। भोलेनाथ से यह वरदान प्राप्त करने के बाद गजमुखासुर बहुत शक्तिशाली हो गया और अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करने लगा। ब्रह्मा,विष्णु महेश और गणेश जी को छोड़कर उसने सभी देवी-देवताओं पर आक्रमण करना प्रारंभ कर दिया। गजमुख का यह आंतक देखकर सभी देवता गण भगवान शिव, नारायण और ब्रह्मा जी के पास मदद के लिए जा पहुंचे और अपने प्राणों की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगे। तब भगवान शिव ने गजमुखासुर को सबक सीखाने के लिए गणेश जी को भेजा।

गणेश जी और गजमुखासुर के बीच युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान बुरी तरह से घायल होने बाद भी गजमुख ने हार नहीं मानी और खुद को एक मूषक यानि चूहे के रूप में बदल दिया। मूषक के रूप में वह जैसे ही गणेश जी पर आक्रमण करने के लिए आगे बढ़ा वैसे ही वे उसकी पीठ पर बैठ गए। तब गजमुखासुर ने भगवान गणेश से अपने गलत कार्यों के लिए क्षमा मांगी। इसके बाद भगवान गणेश ने उन्हें अपना वाहन बना लिया और गजमुख ने भी खुशी-खुशी अपने ही रूप को स्वीकार लिया।

इस प्रकार मूषकराज भगवान गणेश के प्रिय वाहन बन गए।

 

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