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हिन्दू धर्म में संक्रांति के दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। संक्रांति का यह दिन भगवान सूर्य देव को समर्पित होता है। वैसे तो हर महीने आने वाला संक्रांति का यह पर्व, अपने आप में एक अलग महत्व रखता है, लेकिन इन सभी में से धनु और मकर सक्रांति का खास महत्व बताया जाता है। आज के इस ब्लॉग में हम आपको धनु सक्रांति से ही जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में जानकारी देने जा रहे है।
सक्रांति का दिन जहां एक ओर भगवान सूर्यदेव को समर्पित होता है, तो वही दूसरी ओर इस दिन दान-पुण्य की गतिविधियों में भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया जाता है। संक्रांति के दिन सच्चे मन से दान-पुण्य करने के बहुत से शुभ फल प्राप्त होते है। कहा जाता है की इस दिन सूर्यदेव एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करते है। आइये जानते है धनु सक्रांति क्या है और यह कब मनाई जाती है। इस साथ ही, ब्लॉग के अंत में हम आपको इस सक्रांति के पीछे का धार्मिक महत्व भी बताएंगे, तो आइये जानते है-
धनु सक्रांति क्या है? What is Dhanu Sankranti?
हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास के कृष्ण अष्टमी तिथि के दिन धनु सक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस तिथि को सूर्य का धनु राशि में आगमन होता है, यही कारण है की इस दिन को धनु सक्रांति के नाम से जाना जाता है।
धनु संक्रांति 2023 तिथि व मुहूर्त | Dhanu Sankranti 2023 Date & Time
धनु संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त
धनु संक्रान्ति शनिवार, दिसम्बर 16, 2023 को
धनु संक्रान्ति पुण्य काल – 04:09 पी एम से 05:27 पी एम
अवधि – 01 घण्टा 17 मिनट्स
धनु संक्रान्ति महा पुण्य काल – 04:09 पी एम से 05:27 पी एम
अवधि – 01 घण्टा 17 मिनट्स
धनु संक्रान्ति का क्षण – 04:09 पी एम
धनु सक्रांति का महत्व | Significance of dhanu sankranti 2023
1. सूर्य देव की पूजा
सक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा को बहुत फलदायी माना जाता है। माना जाता है की धनु संक्रांति के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से जीवन में एक नई ऊर्जा आगमन होता है।
2. कष्टों से मुक्ति
इस दिन सच्चे मन से सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति निर्भय बनता है और उसके जीवन में चल रहे सभी प्रकार से कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन सूर्यदेव के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान बताया जाता है।
3. सूर्य का धनु में प्रवेश
सूर्य के धनु राशि में आगमन को धनु सक्रांति के नाम से सम्बोधित किया जाता है। सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते है और एक माह तक रहते है। इस मास को खरमास और मलमास के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है, इस एक महीने के अंतराल में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य वर्जित होता है।
इस माह में शुभ कार्य क्यों नहीं होते है?
धनु सक्रांति के दिन से ही खरमास का प्रारंभ हो जाता है, जो 15 जनवरी तक चलता है। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश को अच्छा नहीं माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस राशि में सूर्य कमजोर स्थिति होता है। यही कारण है, खरमास या मलमास के समय शुभ कार्यों पर पाबंदी होती है।
खरमास में सूर्यदेव की पूजा को सबसे अधिक श्रेष्ट्र बताया जाता है। ऐसे में इस पुरे माह में आप सूर्य को प्रसन्न करने के लिए, सूर्य चालीसा के साथ ही श्री सूर्य यंत्र की पूजा भी कर सकते है। श्री सूर्य यंत्र न सिर्फ सूर्य की ऊर्जा को आकर्षित करता है, बल्कि यह उपासक को शारीरिक शक्ति और अच्छा स्वास्थ्य भी प्रदान करता है।